वेब सीरीज रिव्यू: ब्रीद- इन टू द शैडोज, सीजन 2
मूवी रिव्यू
वेब सीरीज रिव्यू: ब्रीद- इन टू द शैडोज, सीजन 2
डायरेक्टर : मयंक शर्माश्रेणी:Hindi, Suspense, Dramaरिव्यू लिखें
‘ब्रीद, सीजन- 2’ की कहानी
तीन साल तक गायब या यह कहें कि शिथिल रहने के बाद डॉ. अविनाश सभरवाल का ऑल्टर ईगो यानी उसकी दूसरी पर्सनैलिटी ‘जे’ बदला लेने के लिए आया है। वह पागलखाने से फरार हो चुका है। वह अब उन सभी से बदला लेना चाहता है, जिन्होंने उसे किसी भी रूप में दुख दिया है। इस बार पागलखाने से उसका एक साथी कैदी विक्टर भी है। अविनाश या जे को रावण हत्यारा कहा जाता है, यह जोड़ी रावण के 10 प्रतीकात्मक सिरों को मारना चाहती है। कबीर सावंत उसे रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ता, लेकिन क्या वह इन सब को रोक पाएगा?
मेंटल असायलम में अविनाश सभरवाल (अभिषेक बच्चन) का इलाज बहुत अच्छे से हो रहा है। लेकिन डॉक्टर्स उसे बताते हैं कि शायद वह कभी रिहा नहीं हो पाएगा। अविनाश जहां अब इसी बात को अपना सच मानकर जी रहा है, वहीं उसकी दूसरी पर्सनैलिटी यानी जे को यह गवारा नहीं है। जे यह चेतावनी देता है कि उसने जो शुरू किया उसे वह खत्म करेगा। वह कहता है कि अविनाश को जिसने भी दर्द देने की कोशिश की है, वह उन सभी को मार डालेगा। अविनाश या यह कह लीजिए कि जे पागलों के जेल से रिहा नहीं हो पा रहा है। इसलिए वह अविनाश की बीवी आभा सभरवाल (नित्या मेनन) को अपने पहले दुश्मन को मारने के लिए कहता है। यह दुश्मन है रियल एस्टेट मुगल नील बहल। जे के पास इसके बाद 5 और लोगों की लिस्ट है जो उन बुराइयों का प्रतीक हैं, जिन्हें खत्म करने की जरूरत है। ये बुराइयां हैं- अभिमान, अहंकार, असंवेदनशीलता, आदि।
‘ब्रीद: इन टू द शैडोज’ सीजन-2 का ट्रेलर
‘ब्रीद सीजन-2’ का रिव्यू
अगर आप कंफ्यूज हो रहे हैं तो जरा क्लीयर कर देते हैं। ‘ब्रीद: इनटू द शैडोज’ का यह सीजन 2 टेक्निकली सीजन-3 है। इस सीरीज का पहला भाग आर माधवन के साथ था। लेकिन फिर मेकर्स ने अभिषेक बच्चन के साथ नए सिरे से ‘ब्रीद: इनटू द शैडोज’ की शुरुआत की और यह उस लिहाज से सीजन-2 है। खैर, इस साइकोलॉजिक थ्रिलर का यह नया सीजन अपने आधे सफर तक साजिश, योजना और लगातार हो रही हत्याओं के बावजूद गति पकड़ने के लिए स्ट्रगल करता हुआ दिखता है। इस बार की कहानी पहले सीजन की तुलना में काफी अधिक बड़ी दिखती है। इसमें एक खतरनाक आदमी विक्टर (नवीन कस्तूरिया) है, जो इस बार मिशन में जे की मदद करता है। लगातार हो रहे सीरियल मर्डर को रोकने के लिए अफसर कबीर सावंत (अमित साध) को फिर से काम पर लगाया जाता है।
इस सीजन का हर एपिसोड लगभग 42 मिनट का है। कमोबेश हर एपिसोड में अविनाश की एक इंसान से मुठभेड़ होती है, जिसे जे मारना चाहता है। इस हर एक किरदार की एक पिछली कहानी है, जिसके बूते यह साबित किया जाता है कि आखिर अविनाश या जे को उस इंसान को मरने का अधिकार क्यों है। मयंक शर्मा ने जिस तरह शो का डायरेक्शन किया है और जिस तरह का थ्रिलर ट्रीटमेंट दिया है, यह आपको बांधे रखता है। लेकिन पर्दे पर हो रही हत्याएं और उसके बाद वहां से हत्यारे के भागने का सीक्वेंस बहुत ही नाटकीय है। कई मौके पर आप उससे सहमत नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए, आभा किसी की हत्या करने को लेकर बहुत ज्यादा टेंशन में नहीं दिखती है। जे का चतुराई से अपने अगले शिकार रमनीश (रोहित खुराना) को बाहर लाना या फिर कबीर को उसी की गर्लफ्रेंड शर्ली (सैयामी खेर) के खिलाफ करना, यह सब जरा जटिल हो जाती हैं।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि अभिषेक बच्चन ने दमदार परफॉर्मेंस दी है। खासकर यह बात ध्यान रखने वाली है कि इस बार कहानी में उनके पास जे के नाम का मुखौटा नहीं है, इसलिए कोई उनकी एक्टिंग के ग्राफ को देख सकता है। एक सीन है जिसमें हर कोई देख सकता है कि सामने जो खड़ा है वह अविनाश है, लेकिन जैसे ही कैमरा चारों ओर घूमता है हमारे सामने अविनाश की जगह जे आ जाता है। अभिषेक ने यह सब बहुत ही असाधारण तरीके से कर दिखाया है। अमित साध पिछले सीजन की तुलना में इस बार कम गुस्से में हैं, लेकिन उन्होंने एक दमदार पुलिस वाले को शक्तिशाली रूप से निभाया है। नित्या मेनन और सैयामी खेर के पास सीजन-1 में करने को बहुत कुछ था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है। उनका पूरा उपयोग नहीं किया गया है। हालांकि, इन सब के बीच नवीन कस्तूरिया अपनी जबरदस्त परफॉर्मेंस से खूब वाहवाही लूटने वाले हैं।
‘ब्रीद: इनटू द शैडोज’ के सीजन-2 को और बेहतर बनाया जा सकता था। खासर एपिसोड को छोटा रखा जा सकता था और स्क्रीनप्ले थोड़ी और चुस्त हो सकती थी। लेकिन यकीन मानिए, इन सब के बावजूद ‘ब्रीद: इनटू द शैडोज’ सीजन-2 आपको बांधे रखती है और इसे जरूर देखना चाहिए।