Tuesday, May 20, 2025
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मूवी रिव्यू: अनन्या पांडे की CTRL एक एक्सपेरिमेंटल मूवी है, कुछ के लिए सबक तो कुछ त्याग दिया जाएगा


निर्देशक: विक्रमादित्य मोटवाने

स्टारकास्ट: अनन्या पैंडाल, विहान समत, देविका वत्स, कामाक्षी भट्ट, सुचिता स्टूडेंट और रवीश देसाई

कहां देख सकते हैं: नेटफ्लिक्स पर

क्रिटिक रेटिंग : 3

CTRL मूवी समीक्षा: आप इस फिल्म को या तो बीच में ही खत्म कर जायेंगे, बर्बाद कर देंगे या फिर इसे एक अच्छा प्रयास मानेंगे। जब भी कोई प्रयोग फिल्मकार करता है, ये खतरे हमेशा होते हैं। कभी 'सेक्रेड किए गए गेम्स' के ऐपिसोड और 'जुबली' जैसी शानदार सीरीज का निर्देशन कर विक्रमादित्य मोटवाने ने भी सोशल मीडिया में उछाले आज की पीढ़ी के युवाओं की जिंदगी पर फिल्म बनाने का खतरा उठाया है।

एक दूसरे के प्यार में खोए दो सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स नेल्ला यी नलिनी स्टोरी स्टोरी (अन्या पैजेंड) और जो (विहान समत) की हैं। दोनों क्रियाएं अपनी से बहुत खूबसूरत अल्ट्रावर्स कमा रहे हैं, और पैसा भी कि अचानक नेला जो किसी और लड़की को किस करता है। उसके बाद तो वो पागल हो जाता है. तुल जाता है उसे अपनी जिंदगी की हर याद से ईस्टर की।

अद्वितीया पेंडेल की साइबर लाइब्रेरी फिल्म CTRL

ऐसे में एक ऐप उसकी मदद करता है, जिसका नाम फिल्म का पोर्टफोलियो है 'CTRL' यानी बोर्ड में एक जैसा होने वाला कंट्रोल के लिए शब्द। इसमें उनका एक एआई आर्किटेक्चर है, जो हर वीडियो हर फोटो के लिए है, जो 1.5 लाख की कीमत का है, से जिसका चेहरा 90 दिनों के लिए है। धीरे-धीरे ये ऐप नेल्ला के सारे सिस्टम पर कंट्रोल कर देता है, यहां तक ​​कि उसके मोबाइल से एक मेसेज कंसल्टेंट दो डिलीट भी कर देता है।

टैब गंभीर है, जब भी फोटो वीडियोज की तरह गायब हो जाता है तो वह एक सोशल मीडिया कंपनी की कहानी के किसी सीक्रेट प्रोजेक्ट के डिटेल्स जान गया था। ये तो आप मूवी में जानेंगे कि क्या था वो सीक्रेट प्रोजेक्ट और क्यों गिर रही थी उसके लिए डेड्स और क्या उसकी ज़री लगातार इंटरनेट पर अनुशंसित जा रही है हमारी जिंदगी के लिए कुछ सब कुछ भी मौजूद है ये मूवी।

मूवी का सबसे बेहतरीन भाग

फिल्म का सबसे बेहतरीन हिस्सा है फिल्म के आखिरी दसवें मिनट में, जो एक इन्फ्लुएंसर की अचानक दिखती जिंदगी और बेबसी को दिखाती है और नए अंदाज से नेला के अनोखे रोमांटिक इमोशन्स को भी दिखाती है। वैसे ही देर हो चुकी थी फिल्म के सबसे रहस्यमयी हिस्सों पर अंत तक पर्दा डाला गया, मुख्य खलनायक जो एक सोशल मीडिया कंपनी का मालिक था, के रोल के लिए गुंडों जैसे बदरंग दाढ़ों वाले कलाकारों की विशेषताएँ और कहानी में एक पत्रकार को इतना लाचार दिखाया गया।

फिल्म के कुछ क्रिप्टो होल्स

एक पत्रकार इंक वो फ्री लोनसर ही क्यों ना हो, उसके पास ढेर सारे रास्ते होते हैं, जो सबुट होने पर भी कुछ कर सकते हैं। लेकिन यहां तो विक्रमादित्य ने अपना चेहरा तक नहीं दिखाया, खलनायक आर्यन (रवीश दास) को भी एक दृश्य में दिखाया गया है। अनन्या के पिता और जो की बहन सूजी तो मनो फिल्म में भी नहीं थे। ऐसा लगा मानो फिल्म निखिल पांडे ने नहीं बनाई अनन्या पांडे ने प्रोड्यूस की हो। फ़िल्म के 90 फ़ीसदी रियल एस्टेट के नाम हैं। ऐसा तो कैनेडा डेडलीड अभिनय नहीं करता।

फिल्म की कुछ अच्छी बातें

फिर भी फिल्म सोशल मीडिया, इंटरनेट और निजी डेटा चोरी के साइड इफ़ेक्टस की तरफ इशारा करती है। छोटे शहर के युवाओं को ये यूथफुल मूवी पसंद आएगी और एक्सक्लूसिव के फैन्स को भी। लेकिन स्क्रीन पर फ़ायदा खरीदें, उसके लिए तैयार रहें। इस फिल्म में अद्वितीया को भी अभिनय के लिए एक अजीब मौका मिला है, उनके साथ विहान को भी, क्योंकि बाकी कलाकारों को विक्रमादित्य मोटवाने ने मनो नियंत्रण ऑल्ट डिलीट ही कर दिया है।

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