देश में स्वतंत्रतातंत्र दिवस के जश्न से ठीक पहले लारा डॉग्स ने रविवार, 13 अगस्त को ‘रानीति बालाकोट एंड बियोन्ड’ का टाइगर वीडियो शेयर किया है। इस 20 किताबों के टीजर में हमें बर्फ से टूटे पहाड़ की चोटियों के बीच में दुश्मन के हवाई जहाज नजर आते हैं। इसके साथ ही कार्टून में एक आवाज गूंजती है- यह एक नया रान है और इसे बनाने के लिए एक नई रणनीति की जरूरत है।
यहां देखें, ‘रणनीति बालाकोट और बियोंड’ का टीज़र
लारा स्टार्स ने टाइगर वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि यह शो सत्य घटनाओं पर आधारित है। समझ में आ रहा है कि यह सीरीज साल 2019 में बालाकोट पर आधारित भारतीय हवाई हमले पर आधारित है। एकट्रेस के पोस्ट पर अतिथि और शौक़ीन लोग सैर-सपाटे दे रहे हैं। एक यात्री ने लिखा, ‘हम सभी को इस वेब सीरीज का इंतजार है।’ इस नई रानी की कहानी को देखने के लिए बेसब्र हूं।’ वेब सीरीज की दुनिया से इटर लारा डगलस को पिछली बार ‘बेल बॉटम’ में देखा गया था, जिसमें मिर्जा ततली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया था।
रणनीति बालाकोट और बायऑनड
स्थापित है 2019 का बालाकोट एयर एयरट्राइक
भारत ने पाकिस्तान के आतंकी हमलों का जवाब देने के लिए 26 फरवरी 2019 को बालाकोट एयरस्ट्राइक की थी। इस हमले में भारत ने मिराज-200 के जरिए पाकिस्तान की सीमा में कई आतंकवादियों को ध्वस्त कर दिया था। इस हमले में कई हमलावर मारे गए। हालाँकि, इसके अगले ही दिन दोनों देशों के बीच तनातनी चरम पर पहुँच गए। सीमा पर भारतीय विमान के पायलटों ने मिग-21 विमान का पाकिस्तान एफ-16 लड़ाकू विमान का पीछा कर उसे मार गिराया था। हालाँकि, ओपन टेलीकास्ट सैटेलाइट ने इस बात पर जो कुछ दावा किया है उस पर विवाद हो सकता है। ओपन ताजा ने अपने दावे में कहा कि भारतीय स्टेक पर किसी भी समर्थक को चोट नहीं पहुंची थी।
भारत ने 26 फरवरी की सुबह बालाकोट पर हवाई हमला किया था। भारत ने उसी दिन हवाई हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि यह एक आतंकवादी हमले के खिलाफ़ एक आक्रामक अभियान था और इसके परिणामस्वरूप ‘बड़ी संख्या में’ समर्थकों की मौत हो गई। लेकिन अटलांटिक काउंसिल की डिजिटल प्रयोगशाला लेबोरेट्री, सैन फ्रांसिस्को स्थित प्लैनेट लैब्स, यूरोपीय वैज्ञानिक इमेजिंग, और ऑस्ट्रेलियाई साक्षैतिजिक डिग्री इन स्ट्रैटेजिक आर्किटेक्चर ने ओपन-सोर्स सैटेलाइट इमेजरी के विश्लेषण से निष्कर्ष निकाला है कि बालाकोट के आसपास के जाबा पर्वत पर इस महल में कोई महत्वपूर्ण लक्ष्य नहीं है। हमला नहीं हुआ और ना ही कोई मारा गया। 10 अप्रैल 2019 को हवाई हमलों के 47 दिन बाद, कुछ अंतरराष्ट्रीय तत्वों को जाबा हिल की चोटी पर ले जाया गया था, लेकिन यहां की सबसे बड़ी इमारत के नुकसान या पुनर्निर्माण का कोई सबूत नहीं मिला।