Thursday, May 22, 2025
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देश ने खोया संगीत जगत का अनमोल सितारा, जानें मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन ने कहां से ली थी शिक्षा


तबला वादक ज़ाकिर हुसैन शिक्षा: तबले की थाप से भारतीय शास्त्रीय संगीत को पूरी दुनिया में एक नई पहचान बनाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम हर संगीत प्रेमी के दिल में बसा है। सेन फ्रांसिस्को में इलाज के दौरान आज, 15 दिसंबर 2024 को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी इस दुनिया में मशहूर संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। आज उनकी शिक्षा का ज़िक्र करना उन्हें याद करने का एक तरीका है। जानें कि उस्ताद जाकिर हुसैन ने कहां से और कितनी शिक्षा हासिल की थी…

जाकिर हुसैन का जन्म और प्रारंभिक जीवन
9 मार्च 1951 को मुंबई में साउदी जाकिर हुसैन ने म्यूजिक की दुनिया में अपनी अनोखी छाप छोड़ी। जाकिर हुसैन का जन्म मुंबई के एक संगीतप्रेमी परिवार में हुआ। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा भी विश्वविख्यात तबला वादक थे। संगीत उनके ख़ून में था और बचपन से ही वे अपने पिता के साथ टेबल की साधना में उतर गए।

शिक्षा: अध्ययन और संगीत साधना का संगम
जाकिर हुसैन ने सेंट माइकल्स हाई स्कूल, मुंबई से अपनी आर्किटेक्चरल शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। हालाँकि, उनकी प्राथमिक शिक्षा संगीत के लिए उनके गहनों से प्रभावित थी। वे पढ़ाई के साथ-साथ कॉन्स्टेंट संगीत साधना में भी लगे रहे।

विदेशी शिक्षा और संगीत का विस्तार
अपने एकेडमिक जर्नी को आगे की पढ़ाई के लिए जाकिर हुसैन ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। यहां वे संगीत और विश्व सांस्कृतिक खलिहान के आजादी-जाल का एक अहम हिस्सा बने। उनकी यह यात्रा उन्हें सामूहिक उद्यमिता में स्थापित करने में सहायक सिद्ध हुई।

टेबल के प्रति उपहार
जाकिर हुसैन ने 12 साल की उम्र में मंच पर तबला बजाना शुरू कर दिया था। उनके थाप ने जल्द ही उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के उभरते सितारों के रूप में पहचान दिलाई। पिता उस्ताद अल्ला रक्खा की छत्रछाया में उन्होंने तबले की स्त्रियाँ सीखीं और अपने शरीर को निखारा।

संगीत में अप्रतिम योगदान
जाकिर हुसैन का महत्वपूर्ण योगदान सिर्फ शास्त्रीय संगीत तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने बॉलीवुड, फ्रैग्मेन और इंटरनेशनल म्यूजिक में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होंने वेस्टर्न और इंडियन म्यूजिक के संगम को बेहतरीन तरीके से पेश किया।

सम्मान और उपलब्धि
उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म विभूषण और 2023 में पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया। वे भारत के उन दिग्गज कलाकारों से हैं, जिन्होंने अपनी कला का दम पूरी दुनिया में शोहरत पाई।

संघर्ष और जीवन की प्रेरणा
जाकिर हुसैन की जिंदगी में सिर्फ सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें संघर्ष और कड़ी मेहनत की प्रेरणा की कहानी भी छुपी हुई है। उन्होंने संगीत साधना को अपने जीवन का केंद्र बनाया और इन गुणों को विश्व स्तर पर बल देकर अपनी पहचान बनाई।

एक युग का अंत: उस्ताद का निधन
जाकिर हुसैन की जिंदगी सिर्फ कलाकार की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें संघर्ष और कड़ी मेहनत भी छिपी है। उन्होंने संगीत साधना को अपनी जिंदगी का लक्ष्य बनाया और अपने समर्पण के दम पर दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनकी थाप और संगीत की गूंज से याद की जाएगी।



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