देव आनंद: 26 सितंबर 2023. इस तारीख को अगर सदाबहार हीरो देवानंद जीवित हों, तो अपना 100वां जन्मदिन मना रहे हों. यह भी सच है कि वह इस दिन एक शानदार फिल्म में शामिल हुईं, क्योंकि वह जिंदा थीं। यूं तो देव आनंद के बारे में सैकड़ों किस्से-कहानियां लोगों की कहानियां और मीडिया में दर्ज हैं, मगर एक बात बहुत दिलचस्प है। अक्सर पुराने लोग टैटू और मीडिया में भी बार्स से चल रहे हैं कि कोर्ट ने देव आनंद को काले कपड़े या काले कोट की रेटिंग से रोक दिया था। वजह ये है कि उन्हें ब्लैक कोट में स्टूडेंट स्टूडेंट हो गई थी। कोई कहता है कि वे वास्तुशिल्प से कूद जाते थे, तो कोई कहता है कि वे अपने खून से चिट्टियाँ लिखते थे। मगर काले कोट पर बैन वाली बात में कितनी सच्चाई हैॽ यह बात का आधार या ठोस सबूत क्या हैॽ
चला गया हवा
सच तो यह है कि इस बात में कुछ भी सच नहीं है. यह सिर्फ एक गप या अफवाह है. जो 1990 के दशक के आस-पास चला गया और चला गया। सोशल मीडिया के दौर में इसे खूब हवा मिली क्योंकि लोग इस पर लगातार डटे रहे और वीडियो धमाल मचाते रहे। सितंबर 2007 में देव आनंद की आत्मकथा हुई थी, रोमिंग विद लाइफ (रोमांसिंग विद लाइफ)। जहां आनंद देव ने यह बात ‘कोरी बक्सा’ के बारे में बताई है। उन्होंने इस किताब में ‘एक किताब भरी मिथ्या’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह साफ हो गया कि बात कहां से शुरू हुई। देव आनंद ने अपनी आत्मकथा (देव आनंद आत्मकथा) में फिल्म काला पानी (1958) को बहुत दिल से याद किया क्योंकि यह फिल्म कई यादगार बन गई थी।
पहली फिल्मफेयर
फिल्म काला पानी (फिल्म काला पानी) के लिए देव आनंद को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला फिल्मफेयर (फिल्मफेयर अवार्ड्स) पुरस्कार मिला था। इस फिल्म के लिए नलिनी जयवंत को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। देव आनंद ने फिल्म के खास होने का जिक्र करते हुए लिखा कि काला पानी ने मेरे बारे में एक कहानी भी दी, जो तब से मेरे प्रशंसकों के बीच घूम रही है कि मुझे काला देखना मना है क्योंकि जब महिलाएं मुझे उस रंग की दुनिया के कपड़े पहनाती हैं भालू बने हुए हैं, तो वे बीमार हो जाते हैं। यह एक मूर्खतापूर्ण मित्र है! मैं हमेशा अपनी फिल्मों और फिल्मों में लोगों के मनोरंजन के लिए ये कपड़े पहनती रहती हूं।
कितना अच्छा है
काले कपड़े कोर्ट के बैन की जगह पर थे, इस बारे में देव आनंद ने लिखा था कि शायद ये बात इसलिए हुई क्योंकि मैंने काले पानी में हर समय काले कपड़े पहने थे। फिल्म में बेटा आपसे यह वादा करता है, कसम खाता है कि जब तक वह अपने असंतुष्ट पिता को कानून के शिकंजे से मुक्त नहीं कराता, तब तक वह हमेशा काले कपड़े ही पहनता है। दरअसल, खुद देव आनंद के इस रहस्य के बावजूद, उनके बारे में ब्लैक प्रोडक्ट्स पर कोर्ट के प्रतिबंध वाले मिथक के बारे में एक तथ्य के रूप में बताया जा रहा है। उनके 100वें जन्मदिन पर भी लोग इस बारे में जरूर बात करेंगे.