जसवन्त सिंह गिल की कहानी: अक्षय कुमार (अक्षय कुमार) अगले महीने सुपरस्टार मिशन क्वीनगंज लेकर आ रहे हैं। सच्ची कहानी पर आधारित है जो एक ऐसी माइनिंग इंजीनियर की है जिसने एक ऐसे माइनिंग इंजीनियर की भूमिका निभाई है जिसकी वफादार फिल्म खुद की जान की परवाह नहीं करती है और 48 घंटे के अंदर अकेले 65 माइनर्स की जान बचाकर वो इतिहास रचती है जिसके बारे में जानिए आज की पीढ़ी के बारे में बहुत जरूरी है है. अक्षय माइनिंग इंजीनियर कुमार अक्षय कुमार की फिल्म में एक्टर सिंह गिल का किरदार निभाया जा रहा है। जिन पर देश को अवश्य गर्व होना चाहिए।
कौन थे डॉयल्टी सिंह गिल
अमृतसर में सरकारी कर्मचारी सिंह गिल कोल इंडिया लिमिटेड में खनन अधिकारी थे। 1998 में जब पश्चिम बंगाल के रानीगंज में कोयला खदान खोदी गई तो खदान में पानी भर गया था। इस दौरान सिंगिंग कहीं पर भी स्थिर थे। 65 पुतलियों को सकुशल बनाने में वे अपनी समझ और बहादुरी से अकेले और बाहर निकले थे। हालाँकि इस दुर्घटना में 6 लोगों की मौत भी हो गयी थी.
कहलाए थे कैप्सूल गिल
जी हां…जसवंत सिंह गिल को कैप्सूल मैन या कैप्सूल गिल कॉल किया जाता था। वास्तव में, इसके पीछे की वजह क्या थी। हुआ ये कि जब खदान में पानी भरा तो उसे पंप के जरिए निकालने की कोशिश की गई लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. टैब में 2.5 मीटर का वोल स्टील का कैप्सूल लेमिनेशन में उतारा गया था और एक-एक कर 65 टुकड़ों को वो के समान के माध्यम से बाहर निकाला गया था। भारत में पहली बार ऐसा हुआ जब ऐसे किसी सम्मान को अंजाम दिया गया और वो भी सफल रही। यही कारण है कि दुनिया के सबसे सफल अभियान में इसे शामिल करते हुए इसे वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। इतना ही नहीं 1991 में मित्र सिंह गिल को सिविलियन गेलेंस्ट्री अवॉर्ड ‘सर्वोत्तम जीवन रक्षक पदक’ से नवाजा गया। साथ ही 2013 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट रिकॉर्ड्स से सम्मानित किया गया।