Sunday, November 9, 2025
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कमाठीपुरा की झुग्गियों में बीती जिंदगी, घोर गरीबी में 1500 देखकर कांपने लगे थे कादर खान

कमाठीपुरा की झुग्गियों में बीती जिंदगी, घोर गरीबी में 1500 देखकर कांपने लगे थे कादर खान

बॉलीवुड एक ऐसा मंच है, जहां कई मंझे हुए कलाकार आते हैं और अपनी जिंदगी की किताब को खुद लिखते हैं। ‘सैटरडे सुपरस्टार’ में हम कुछ ऐसे कलाकारों को चुनकर लाते हैं, जिन्होंने अपने करियर में बहुत उम्दा काम किया और चांद लगाए। ऐसे ही एक दिग्गज कलाकार हैं कादर खान, जिनकी कहानी आपके मन को कचोट देगी।
कादर खान बर्थ एनिवर्सरी
हाइलाइट्स
  • कमाठीपुरा में पले-बढ़े कादर खान
  • जिंदगी में देखा वो सबकुछ जो सोचकर भी सहम जाए कोई
  • एकसाथ 1500 रुपये देखकर कांपने लगे थे कादर खान
कादर खान बॉलीवुड के अब तक के सबसे शानदार एक्टर्स में से एक थे। 200 से अधिक फिल्मों के रिकॉर्ड और एक्टिंग की एक प्यारी शैली के साथ दिवंगत एक्टर ने सिनेमा प्रेमियों के दिलों में अपने लिए जगह बनाई है। दिसंबर 2018 में उनकी मौत हो गई। भले ही वो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी लाइफ स्टोरी इतनी जानदार है कि शायद इसे पढ़कर आपकी आंखे नम हो जाएं और दिमाग सुन्न पड़ जाए। ‘सैटरडे सुपरस्टार’ में आज हम कादर खान का जिक्र करेंगे। सौभाग्य से आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी भी है।

कादर खान का करियर
कादर खान का करियर काफी सफल रहा, लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि उनका पालन-पोषण घोर गरीबी में हुआ था। उन्होंने मुंबई की झुग्गियों से बॉलीवुड की चमचमाती और ग्लैमरस दुनिया में अपनी जगह बनाई। मुंबई के रेड-लाइट एरिया कमाठीपुरा में पले-बढ़े कादर ने सबकुछ देखा, जिसे उन्होंने बाद में उन फिल्मों में डाला, जिनमें उन्होंने काम किया। कादर खान की बॉलीवुड में एंट्री से पहले की जिंदगी बदतर थी। बलूचिस्तान में जन्मे कादर के तीन भाई थे जिनका नाम शम्स उर रहमान, फजल रहमान और हबीब उर रहमान था। दुर्भाग्य से, वे सभी अफगानिस्तान में आठ वर्ष की आयु से पहले ही मर गए।

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कमाठीपुरा की झुग्गियों में बीता बचपन

उनके माता-पिता ने भारत जाने का फैसला किया क्योंकि उन्हें लगा कि अफगानिस्तान की भूमि उनके बच्चों के लिए बदकिस्मत है। कादर मुंबई के रेड-लाइट एरिया कमाठीपुरा की झुग्गियों में पले-बढ़े। वेश्यावृत्ति से लेकर ड्रग्स और हत्या तक, एक्टर ने गंदी झुग्गियों में सबकुछ देखा है। जब वह सिर्फ तीन साल के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया, जिससे उसके लिए चीजें और खराब हो गईं। कादर खान के असली पिता मौलवी और प्रोफेसर थे।

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कादर खान अपने कॉलेजों के दिनों में भी कई नाटकों में हिस्सा लेते थे। वो नाटक लिखने के साथ डायरेक्शन भी करते थे। उसी दौरान कादर खान को एक नाटक मे रोल मिला था, जिसमें उनको अवार्ड भी मिला। इस जीत के बाद कादर खान को पुरस्कार के तौर पर 1500 रूपए मिले तो वो यकीन भी नही कर पाए। एक साथ 1500 रुपए पहली बार देखकर उनके हाथ-पैर कांपने लगे थे।

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मदरसे से भागकर कहानियां बुनते थे कादर

कादर खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनका परिवार हफ्ते में तीन दिन खाली पेट सोता था। पुरानी गरीबी से बाहर निकलने में असमर्थ, कादर खान ने कम उम्र में स्कूल छोड़ने और झुग्गी में रहने का फैसला किया। उन्होंने बताया था कि जब उनकी मां उन्हें मदरसे में भेजती थीं, तो वह मस्जिद से पास के एक कब्रिस्तान में छिप जाते थे। यहां वह बैठ जाते थे, जोर-जोर से चिल्लाते थे और वहां बैछकर सीन्स बनाते थे। इससे पहले उन्होंने कहा था कि उनकी मां ने उन्हें काम करने के बजाय पढ़ाई के लिए मजबूर किया।

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कादर के पास थीं कई सारी डिग्रियां
अपनी मां की सलाह के बाद उन्होंने स्कूल में दाखिला लिया और बाद में उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से इस्माइल युसूफ कॉलेज से स्नातक किया। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। दिलीप कुमार ने उन्हें देखा और बॉलीवुड में अपना पहला प्रोजेक्ट देने से पहले उन्होंने एमएच साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मुंबई में प्रोफेसर के रूप में काम किया। एक्टर के पास उस्मानिया विश्वविद्यालय से अरबी भाषा में मास्टर डिग्री भी है।

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