Sunday, October 6, 2024
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कभी चौकीदार की नौकरी कर 165 रुपये कमाते थे ‘शूल’ के ‘बच्चू यादव’, सयाजी शिंदे आज हैं बड़े स्टार

कभी चौकीदार की नौकरी कर 165 रुपये कमाते थे ‘शूल’ के ‘बच्चू यादव’, सयाजी शिंदे आज हैं बड़े स्टार
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की ‘मंडे मोटिवेशन’ सीरीज में पढ़िए उस एक्टर की कहानी, जो कभी चौकीदार की नौकरी करता था। फिल्मों में आया तो खूब रिजेक्शन झेला। लेकिन आज इसकी गिनती साउथ से लेकर मराठी सिनेमा के बड़े स्टार्स में होती है। यह हैं ‘शूल’ के बच्चू यादव यानी सयाजी शिंदे।
एक्टर सयाजी शिंदे
हाइलाइट्स
  • मंडे मोटिवेशन में पढ़िए एक्टर सयाजी शिंदे की कहानी
  • सयाजी शिंदे कभी वॉचमैन की नौकरी करते थे
  • सयाजी को बॉलीवुड में रिजेक्शन मिला, आज बड़े स्टार
अगर आप सभी ने फिल्म ‘शूल’ देखी है, तो मेन हीरो मनोज बाजपेयी के अलावा वह सफेदपोश माफिया बच्चू यादव भी याद होगा, जिसने मनोज बाजपेयी की नाक में दम कर दिया था। बच्चू यादव के इस रोल को एक्टर सयाजी शिंदे ने निभाया था। सयाजी शिंदे ने बॉलीवुड से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी, लेकिन यहां उन्हें वैसा प्यार और पहचान नहीं मिली, जिसकी दरकार थी। लेकिन सयाजी शिंदे कहां हिम्मत हारने वाले थे। सयाजी शिंदे को बॉलीवुड ने ‘बेगाना’ समझा तो उन्होंने साउथ फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम चमकाया। कभी सयाजी शिंदे को 5-10 मिनट के एक रोल के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था और आज वह साउथ सिनेमा के बिजी एक्टर्स में से एक माने जाते हैं।

मराठी सिनेमा में भी सयाजी शिंदे का बड़ा नाम है। लेकिन सयाजी शिंदे का फिल्मी सफर और निजी जीवन बहुत मुश्किलों भरा रहा। पर मुश्किलों के उस समंदर को पार कर जिस तरह सयाजी ने आउडसाइडर होने के बावजूद सिनेमा की दुनिया में पहचान बनाई, वह बेहद इंस्पायरिंग है। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की ‘मंडे मोटिवेशन’ सीरीज में हम आपको सयाजी शिंदे की यही कहानी बताने जा रहे हैं। एक चौकीदार की नौकरी करने वाला मामूली इंसान कैसे फिल्मी दुनिया में चमका, वह वाकई एक मिसाल है।

sayaji shinde shool

फिल्म शूल में सयाजी शिंदे

किसान परिवार में जन्मे, झेले मुश्किल भरे दिन
Sayaji Shinde का जन्म महाराष्ट्र के दूरस्थ इलाके वेलेकाम्ठी में एक किसान परिवार में हुआ था। गांव जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ था। सयाजी शिंदे ने एक इंटरव्यू में बताया था कि रोजी-रोटी के लिए किस तरह उनके मां-बाप और अन्य गांववालों को सुबह से लेकर दिन छुपने तक खेतों में खपना होता। लेकिन घरवालों ने सयाजी शिंदे की पढ़ाई पर असर नहीं पढ़ने दिया। सयाजी शिंदे ने मराठी में बीए किया। पढ़ाई के साथ-साथ ही सयाजी शिंदे वॉचमैन की नौकरी करने लगे।

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सयाजी शिंदे, फोटो: IMDB

वॉचमैन की नौकरी करते थे सयाजी, मिलते थे 165 रुपये
सयाजी शिंदे की पहली नौकरी एक वॉचमैन यानी चौकीदार की थी, जो महाराष्ट्र गवर्मेंट इरिगेशन डिपार्टमेंट में लगी थी। सयाजी शिंदे पढ़ाई भी करते और फिर चौकदार की नौकरी भी करते। इसके लिए उन्हें महीने के सिर्फ 165 रुपये मिलते थे। कुछ समय बाद सयाजी शिंदे को वहीं पर एक क्लर्क की नौकरी मिल गई और वह उसमें रम गए। सयाजी शिंदे को ड्रामा का भी शौक था, इसलिए शौकिया तौर पर नौकरी के साथ ड्रामा भी करना शुरू कर दिया। लेकिन सयाजी शिंदे ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन एक्टिंग करेंगे।

एक्टर बनने से पहले बैंक में 17 साल किया काम
बाद में सयाजी शिंदे एक कोऑपरेटिव बैक में नौकरी करने लगे। बैंक में सयाजी शिंदे ने 17 साल तक काम किया। लेकिन काम के साथ ड्रामा भी चालू रहा। यही शौक सयाजी शिंदे को बाद में मुंबई ले आया। सयाजी शिंदे मुंबई नगरी में एक्टर बनने के हसीन सपने लेकर आए थे। वह कोई हीरो या कोई विलेन नहीं बनना चाहते थे। सयाजी शिंदे ने कुछ महीने पहले ‘आइडल ब्रेन’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘जब मैं इंडस्ट्री में आया था तो मैं कोई ऐसा सोचकर नहीं आया था कि एक हीरो बनूंगा। मैंने कभी इमेज बनाने के बारे में नहीं सोचा था। मैं बस एक कलाकार बनना चाहता था। अभी भी करोड़ों लोग हैं, जो मुझसे ज्यादा टैलेंटेड हैं। पर उन्हें चांस नहीं मिला। मेरे लिए हर फिल्म में हर किरदार जरूरी है। अगर मैं किसी फिल्म में विलेन बनता हूं तो चाहता हूं कि लोग विलेन ही मानें।’

कई नाटकों और फिल्मों से निकाले गए

सयाजी शिंदे का मुंबई आने का बाद लंबे समय तक स्ट्रगल चला। जहां शुरुआत में उन्हें एक नाटक और उनकी एक स्टेज परफॉर्मेंस से निकाल दिया गया था, वहीं बाद में एक फिल्म से भी बाहर कर दिया गया। सयाजी शिंदे ने अपने करियर में 300 से भी ज्यादा फिल्में कीं, लेकिन रिजेक्शन की टीस आज भी सालती है।

बॉलीवुड के अलावा साउथ और मराठी सिनेमा में कमाया नाम

सयाजी शिंदे ने ‘शूल’, ‘खिलाड़ी 420’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘कर्ज’, ‘रोड’, ‘अंश’, ‘वास्तुशास्त्र’, ‘ये मेरा इंडिया’ और ‘सरकार राज’ जैसी कई हिंदी फिल्में कीं। साल 2021 में वह सलमान खान स्टारर ‘अंतिम: द फाइनल ट्रुथ’ में हेड कॉन्स्टेबल के रोल में नजर आए थे। सयाजी शिंदे ने तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और भोजपुरी भाषा की ढेरों फिल्मों में काम किया। चूंकि सयाजी शिंदे किसान परिवार से रहे हैं, इसलिए वह हमेशा से पेड़ लगाने पर जोर देते आए हैं। वह अब तक 25 हजार से भी ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। वह एक फिल्म प्रोड्यूसर भी हैं। सयाजी शिंदे हाल ही चिरंजीवी की फिल्म ‘गॉडफादर’ में नजर आए।

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